भोग – प्रसाद

 

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भोग – प्रसाद

श्री बालाजी महाराज की आरती सम्पन्न होते ही भक्तों का दर्शन का सिलसिला प्रारम्भ हो जाता है जो कि रात्रि में पट बंद होने तक अनवरत चलता रहता है। दोपहर एवं रात्री भोग के समय आधा – आधा घंटे के लिए श्री बालाजी महाराज के पट बंद होते हैं।

प्रातः आरती के बाद, बालाजी को बाल – भोग,  छप्पन – भोग के साथ लगता है। दोपहर में राज – भोग लगता है। बालाजी के साथ श्री प्रेतराज सरकार, भैरव जी आदि का भी भोग लगता है। श्री बालाजी महाराज जी का भोग मंदिर परिसर में स्थित बालाजी रसोई में ही शुद्ध देसी घी में मेवा मिष्ठान आदि के साथ तैयार किया जाता है। भोग में शुद्धता एवं पवित्रता का पूर्ण रूप से ध्यान रखा जाता है।

घाटा मेंहदीपुर में उमड़ने वाली भक्तों की भीड़ का जहां तक सवाल है। अब यह बारहमासी है। अर्थात प्रतिदिन यहां भक्तों की भीड़ रहती है। देश के दूर – दूर क्षेत्रों से यहां दर्शानार्थी भक्त आते हैं। लेकिन मंगलवार और शनिवार को यहां विशेष भीड़ होती है। आसपास के क्षेत्रों में श्री बालाजी महाराज जी के दर्शन लोगों के लिए दिनचर्या का अंग है। दर्शन के बाद दर्शनार्थी भक्तों के चेहरों पर जो संतोष भाव होता है उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।

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