रामेष्ठ वेद-संस्कृत महाविद्यालय उद्घाटन समारोह

रामेष्ठ वेद-संस्कृत महाविद्यालय उद्घाटन समारोह

13 मई 2025

महंत डॉ. नरेश पुरी महाराज के सान्निध्य में श्री मेहंदीपुर बालाजी ट्रस्ट द्वारा संचालित गुरुकुल का शिलान्यास, बेंगलुरु में वेद-शास्त्र और शस्त्र विद्या से होगा सनातन शिक्षा का नवयुग आरंभ

13 मई 2025 को बेंगलुरु स्थित आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम में श्री घाटा मेहंदीपुर बालाजी ट्रस्ट द्वारा संचालित होने वाले “रामेष्ठ वेद-संस्कृत महाविद्यालय” का भव्य शिलान्यास समारोह अत्यंत आध्यात्मिक और गरिमामयी वातावरण में सम्पन्न हुआ। यह ऐतिहासिक अवसर परम पूज्य महंत डॉ. नरेश पुरी जी महाराज के सान्निध्य में और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर जी की विशेष उपस्थिति में संपन्न हुआ। यह आयोजन इस दृष्टि से भी अत्यंत विशेष बन गया क्योंकि यही दिन श्री श्री रविशंकर जी का जन्मदिवस भी है। इस पावन अवसर पर यह गुरुकुल श्री श्री जी के कर कमलों द्वारा विधिवत रूप से प्रारंभ हुआ, जिससे इस संस्थान को दिव्यता और ऊर्जा की विशेष प्रेरणा प्राप्त हुई।

यह गुरुकुल भारतीय सनातन परंपरा को युगानुकूल स्वरूप में स्थापित करने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। यहाँ विद्यार्थियों को चारों वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद – का गहन अध्ययन कराया जाएगा। इसके साथ ही उपनिषद, वेदांग, धर्मशास्त्र, दर्शन, व्याकरण, ज्योतिष, आयुर्वेद, योग, संगीत, कला और जीवन मूल्यों पर आधारित विविध शिक्षाएं दी जाएंगी। इस गुरुकुल की एक विशेषता यह भी होगी कि यहां वेद और शास्त्रों के साथ-साथ शस्त्रविद्या, धनुर्विद्या, आत्मरक्षा और नेतृत्व कौशल का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया जा सके।

यह गुरुकुल आर्ट ऑफ लिविंग की देखरेख में संचालित होगा, और इसका प्रत्येक सूत्र श्री श्री जी के दिव्य दृष्टिकोण से प्रेरित है। शिक्षा, साधना और सेवा के जो आदर्श श्री श्री जी ने जीवन में स्थापित किए हैं, वही इस गुरुकुल की शिक्षापद्धति और संस्कृति में परिलक्षित होंगे।

श्री श्री रविशंकर जी ने इस अवसर पर महंत डॉ. नरेश पुरी जी महाराज द्वारा देशभर में किए जा रहे धार्मिक, सामाजिक एवं जनकल्याणकारी कार्यों की मुक्त कंठ से सराहना की। उन्होंने कहा कि यह गुरुकुल वैदिक ज्ञान, सनातन मूल्यों और सेवा भावना को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में एक प्रभावशाली भूमिका निभाएगा। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति के पुनरुत्थान की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बताया।

महंत डॉ. नरेश पुरी जी महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि यह गुरुकुल उत्तर भारत का एक विशिष्ट वैदिक शिक्षण केंद्र बनेगा, जहां विद्यार्थी न केवल सनातन धर्म के सिद्धांतों में पारंगत होंगे, बल्कि वे भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में भी अग्रणी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा वही पूर्ण है जो व्यक्ति में ज्ञान, संस्कार, आत्मबल और सेवा का भाव उत्पन्न करे – और यही इस गुरुकुल का उद्देश्य है।

यह संस्थान राजस्थान के दौसा जिले स्थित श्री घाटा मेहंदीपुर बालाजी ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाएगा, जो वर्षों से धार्मिक और सामाजिक उत्थान के कार्यों में संलग्न है। इस गुरुकुल के माध्यम से सनातन संस्कृति की जड़ें और गहरी होंगी तथा युवा पीढ़ी को वैदिक गौरव से जोड़ा जाएगा।

पूरे आयोजन में वैदिक मंत्रोच्चार, मंगलाचरण और आध्यात्मिक चेतना का भाव स्पष्ट रूप से विद्यमान रहा। यह दिन न केवल गुरुकुल के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए वैदिक शिक्षा, संस्कृति और चरित्र निर्माण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और प्रेरणास्पद शुरुआत के रूप में याद किया जाएगा।

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